The best Side of चमकौर का युद्ध
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भारत और अमेरिका का पास आना क्या रूस को कर रहा है परेशान?
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दस्तावेज मेरे संस्मरण – आचार्य नरेन्द्रदेव : तीसरी किस्त
दिनभर के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुये यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा, “हालात पूरी तरह अराजक हो गए थे.”
में खालसा पंथ की सर्जना की। खालसा एक आदर्श, संपूर्ण व स्वतंत्र मनुष्य है। गुरबाणी में इसको सचियार, गुरमुख, ज्ञानी, ब्रह्म-ज्ञानी, गुरसिक्ख और संत-सिपाही कहा गया है।
ठंडे किले में कैद माता गुजरी ने दोनों साहिबजादों को बेहद प्यार से तैयार कर दुसरे दिन दोबारा से वजीर खान की कचहरी में भेजा। यहां फिर से वजीर खान ने उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा लेकिन छोटे साहिबजादों ने मना कर दिया और उन्होंने फिर से जयकारे लगाने लगे। यह सुन वजीर खान गुस्से से तिलमिला उठा और दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चिनवाने का हुक्म दिया। उसके बाद मुगल सैनिकों ने दोनों साहिबजादों जिंदा ही दोनों भाईयों को ईंट की दीवार चुन कर शहीद कर दिया। जैसे ही यह दुख भरी खबर माता गुजरी के पास पहुंची, उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए।
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पेस्कोव ने बताया कि येवगेनी प्रिगोज़िन के गिरफ़्तारी वॉरंट को रद्द कर दिया गया है और उनके और वागनर समूह के लड़ाकों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले बंद कर दिए जाएंगे.
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सिद्धू मूसेवाला: मानसा का शुभदीप कैसे बना सुपरस्टार
उनके मुताबिक जानमाल का नुकसान इसलिए भी बढ़ा क्योंकि प्रिगोज़िन राजनीतिक बयानबाज़ी कर रहे थे.
यह गर्दन कट तो सकती है मगर झुक नहीं सकती।
योजना अनुसार गुरूदेव जी और सिक्ख अलग-अलग दिशा में कुछ दूरी पर चले गये और वहाँ से ऊँचे स्वर में आवाजें लगाई गई, पीर–ऐ–हिन्द चमकौर का युद्ध जा रहा है किसी की हिम्मत है तो पकड़ ले और साथ ही मशालचियों को तीर मारे जिससे उनकी मशालें नीचे कीचड़ में गिर कर बुझ गई और अंधेरा घना हो गया। पुरस्कार के लालच में शत्रु सेना आवाज की सीध में भागी और आपस में भिड़ गई। समय का लाभ उठाकर गुरूदेव जी और दोनों सिंह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगे और यह नीति पूर्णतः सफल रही। इस प्रकार शत्रु सेना आपस में टकरा-टकराकर कट मरी।
सिद्धू मूसेवाला अपने गीत में कहते हैं, "जब तक तुम हमें सोवरेनिटी की राह नहीं देते, तब तक पानी की बात को छोड़ दीजिए, एक बूंद भी नहीं देंगे."